मन की बात 3

मन की बात 3


जीवन सागर में चलते

सबके सब डूब ही जाते हैं

भावनावों को नियंत्रण करके
नैया पार कर सकते हैं

जिंदगी की चमक धमक से ही
आदमी अंधकार की ओर जाएगा
पर जब कोई ये समझ पाएगा
जीवन रोशनी से भर जाएगा

मन कि द्वार खुलने तक
उजाले की किरणें कंहा से
कैसे तुम पावोगे मुक्ति
जिंदगी की जंजीरों से

सुख दुःख की लहरें
जिंदगी के साथ हमेशा रहेंगे
बस उनके ऊपर तैरते हुए
मंजिल की ओर आगे बढ़ेंगे

एक अलग तरीके का सोच से
जीवन बनेगा बहुत ही सुंदर
वरना जिस सोच से जीते हैं
अंधियारे से नहीं आ पाएंगे बाहर

कल कैसे रहेगा अपना
किसी को भी पता नहीं
आज की खुशियां जीना ही
जीवन की राज़ है सही

अपनी ताकत पर अहंकार
केवल मूर्ख ही करते
समय के साथ क्या होगा
दुनियां में कोई नहीं जानते

जिंदगी में मुड के देखने से
आज की बेहतर जीवन दिखेगा
वरना  संघर्ष की यह जीवन
हमेशा भारी ही लगता रहेगा

जीवन की सही चित्र
सही सोच से बनेगा
बदसूरत बनाने में
एक बुरी सोच भी चलेगा

रचना अच्युत कुलकर्णी

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